jadui pencil ki kahani hindi mein ( जादुई पेंसिल की कहानी हिंदी में )
jadui pencil ki kahani :-
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एक गांव में कुशल नाम का एक गरीब लड़का रहता था, वह बहुत ही गरीब था, लेकिन उसमें कला कूट-कूट कर भरी थी, उसे चित्र बनाना बहुत अच्छा लगता था, वह कभी दीवाल पर चित्र बनाता, तो कभी गीली मिट्टी पर, छोटे लकड़ियों से या पत्थरों के टुकड़े से चित्र बनाते रहता था।
उसके पास पेंसिल खरीदने के लिए या कागज खरीदने के लिए पैसे नहीं थे, क्योंकि वह गरीब था, फिर भी वह वह प्रतिदिन कहीं ना कहीं पर चित्र बनाते रहता था।
एक दिन जब वह गीली मिट्टी पर चित्र बना रहा था, तब वहां एक बूढ़ा आदमी आया और उस बूढ़े आदमी ने एक पेंसिल उस कुशल को दिया और कहा कि यह लो बेटा इस पेंसिल से चित्र बनाकर तुम गरीबों को देना और जरूरत पड़ी तो तुम इस पेंसिल से मुझे भी बुला सकते हो।
फिर वह बूढ़ा वहां से गायब हो जाता है, उसके जाने के बाद कुशल जमीन पर उस पेंसिल से एक आम का चित्र बनाता है, थोड़ी देर में वह आम असली आम बन जाता है, वह समझ जाता है कि यह jadui pencil है।
फिर वह एक कुत्ता बनाता है, वह भी असली में बन जाता है, फिर वह अपनी सारी जरूरतों के सामान कापी-पुस्तक को और अपने माता-पिता के लिए कपड़े अनाज सब कुछ बना लेता है।
और वह गरीबों का भी मदद करते रहता है, उस jadui pencil से वह एक बैलगाड़ी बनाकर एक किसान से मदद करता है।
1 दिन
राजा को इसके बारे में पता चल गया और उसने कुशल को jadui pencil समेत बुलाया और फिर उस कुशल को कहा कि कुशल तुम हमारे बगीचे में एक सोने का पेड़ लगा दो और इस पेंसिल को हमें दे दो। फिर कुशल कहता है, कि नहीं महाराज मैं केवल गरीबों के लिए ही चित्र बनाता हूं, आप तो बहुत धनवान हो।राजा क्रोधित हो जाते हैं और कुशल से उसका जादुई पेंसिल छीन लेते हैं और फिर उसे सोने का वृक्ष बनाते हैं, लेकिन वह प्रकट नहीं होता और फिर एक चित्रकार से भी वह सोने का पेड़ बनवाते हैं, फिर भी वह पेड़ प्रकट नहीं होता, तब राजा और की क्रोधित हो जाते हैं।
और फिर राजा कुशल से कहते हैं, कि कुशल तुम हमारी आज्ञा मानो अन्यथा हम बंदी बना लेंगे फिर कुशल सोचता है, कि अगर राजा मुझे बंदी बना लेंगे तो, मैं गरीबों की मदद नहीं कर पाऊंगा और फिर वह पेंसिल लेकर उस बूढ़े आदमी का चित्र बनाता है।
बूढ़ा आदमी प्रकट हो जाता है और वह राजा को समझाता है, कि राजा आपके पास तो बहुत धन है, आप तो धनवान हो और कुशल इस पेंसिल से केवल गरीबों की मदद करता है और यह पेंसिल किसी दूसरे के हाथों में काम नहीं करेगा, यह केवल कुशल के लगन के कारण ही यह कार्य करता है।
राजा को अपनी गलती का एहसास हो जाता है और वह पेंसिल उस कुशल को लौटा देता है, कुशल गरीबों का मदद करते हुए अपना जीवन व्यतीत करता है और स्वयं भी खुशी-खुशी रहता है।
ईमानदारी और लगन के साथ अपना काम करना चाहिए छल और कपट नहीं करना चाहिए।
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jadui pencil ki kahani hindi mein ( जादुई पेंसिल की कहानी हिंदी में ) |
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