the golden axe story in hindi with moral, सोने की कुल्हाड़ी की कहानी
the golden axe story in hindi with moral, सोने की कुल्हाड़ी की कहानी
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the golden axe story in hindi with moral, सोने की कुल्हाड़ी की कहानी
Kahniyan : एक जंगल के पास में एक गांव था, वहां दो लकड़हारे रहते थे, दोनों का घर पास पास ही था, एक का नाम रामू और एक का नाम सोमू था, रामू बहुत ही मेहनती था, वह झूठ भी नहीं बोलता था और इमानदार था, लेकिन सोमु बहुत ही झूठ बोलता और बेईमान था।
वे दोनों प्रतिदिन जंगल में जाकर लकड़ी काटते थे और अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करते थे।
एक दिन रामू जंगल जा रहा था और सोमू आलसी होकर सो रहा था, वह रामू को सोच रहा था, कि इसे कोई काम नहीं है, सुबह सुबह से ही जंगल चला जाता है और फिर रामू जंगल जाकर एक अच्छी मोटी लकड़ी को काटने लगता है, उस लकड़ी के पास ही एक नदी था।
जब रामू लकड़ी को काट ही रहा था, तब काटते काटते उसके हाथ से उसकी कुल्हाड़ी फिसल कर नदी में डूब गई और फिर वह नदी किनारे जा कर रोने लगा। हे भगवान ! एक ही कुल्हाड़ी थी मेरे पास, वह भी डूब गई अब मैं अपने परिवार का पालन पोषण कैसे करूंगा और रोने लगता है।
इतने में ही एक देवी नदी से बाहर निकली और रामू से पूछने लगी क्या हुआ रामू, फिर रामू ने कहा, कि हे माता ! मेरी एक लोहे की कुल्हाड़ी इस नदी में डूब गई है, क्या आप मुझे ढूंढ कर दे दोगी ?
और फिर देवी नदी के अंदर जाती है और एक चांदी का कुल्हाड़ी लेकर बाहर आती है, और फिर उसे पूछती है, कि क्या यही तुम्हारी कुल्हाड़ी है ? फिर रामू कहता है कि नहीं माता यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।
और फिर देवी फिर से नदी के अंदर जाती है, और सोने की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आती है, और फिर रामू पूछती है, कि क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है, फिर रामू कहता है नहीं यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं हैं।
और फिर देवी फिर से नदी में जाती है, और रामू का लोहे का कुल्हाड़ी लेकर बाहर निकलती है, और फिर रामू कहता है कि हां माता यही मेरी कुल्हाड़ी है।
और फिर माता ने खुश होकर कहा, कि रामू तुम्हारी ईमानदारी और सच्चाई को देखकर मैं यह तीनों कुल्हाड़ी ही तुम्हें देती हूं।
और फिर रामू तीनों कुल्हाड़ी को लेकर अपने घर जा रहा था, तभी उसे सोनू ने देख लिया और दबे पांव उसकी घर की ओर चले गए रामू घर पहुंच कर अपनी पत्नी को सारी बात बताया । जिसे सोमू भी चुपचाप सुन रहा था।
और फिर उस सोने की कुल्हाड़ी को बेचकर उसने एक बढ़िया सा घर बनाया। लेकिन उसने अपना लकड़हारे का काम नहीं छोड़ा और फिर 1 दिन जंगल में लकड़ी काटने के लिए चला गया।
और फिर सोमू सोचता है, कि यह जरूर जंगल में उसी जगह पर जाएगा। जहां इसे तीनों कुल्हाड़ी मिली थी और वह भी उसके पीछे पीछे चुपचाप गया और जब रामू लकड़ी काटकर घर आता है ।
फिर सोनू अपनी कुल्हाड़ी को उसी नदी में फेंक देता है और फिर मगरमच्छ के आंसू रोने लगता है, फिर जलदेवी बाहर आती है और कहती है, कि क्या हुआ बेटा और फिर सोमू कहता है, कि मां मेरी कुल्हाड़ी पानी में डूब गई है।
जलदेवी समझ जाती है और फिर उसी का लोहे का कुल्हाड़ी लेकर बाहर निकलती है और फिर सोमू कहता है, कि नहीं वहां यह लोहे का कुल्हाड़ी मेरा नहीं है।
और जलदेवी फिर से पानी से चांदी का कुल्हाड़ी लेकर बाहर निकलती है, और फिर सोनू कहता है, कि नहीं मां यह भी मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।
और फिर से जब जलदेवी पानी से सोने का कुल्हाड़ी लेकर निकलती है, तब रामू कहता है, कि हां मां यही मेरी कुल्हाड़ी है।
जलदेवी क्रोधित हो जाती है, और वह समझ जाती है, कि यह झूठ बोल रहा है, और उसे कोई भी कुल्हाड़ी नहीं देती है, और सोमू रोने लगता है, और कुछ ना कर पाने से वह घर लौट जाता है।
Kahani से शिक्षा :-
तो बच्चों आज की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है, कि हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए, हमेशा ईमानदार रहना चाहिए।
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