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kahani: बस वाले कि सफलता hindi kahaniyan

कहनी: बस वाले की सफलता कहानी

बस वाले की सफलता , कहाँनी , kahani

video source-youtube | वीडियो by-josh kahani


काहनियाँ : एक गाँव में अजय, विनय, उदय और विजय नाम के चार छोटे बच्चे रहते थे, वे बड़े पक्के दोस्त थे, साथ मिलकर पढ़ते थे, साथ मिलकर खेलते थे, साथ मिलकर उधम मचाते थे रोज वह चारों साथ मिलकर गाँव की चबूतरे में बैठकर रहते थे। गप्पे नौका करते थे।

धीरे-धीरे वे चारों लोग बड़े होते चले गए, अजय ने बस में ड्राइवर की नौकरी करनी शुरू कर दी, विजय ने एक पंचर बनाने की दुकान खोल ली, उदय पेंटर बन गए और विनय बैंक में क्लर्क की नौकरी पकड़ ली।

भले ही वे कितने भी काम करते हों, लेकिन वह शाम को गांव के चबूतरे में बैठक कर खूब गप्पे मारा करते थे।

एक दिन जोर की बारिश होने लगी और अजय का बस जंगल के रास्ते जा रहा था अजय बड़ी सावधानी से बस कुछ चला जा रहा था, तभी उसके एक पैसेंजर ने कहा ओ ड्राइवर भाई साहब अगर इतनी धीरे गाड़ी चलाओगे तो घर कब पहुंचेंगे, थोड़ा तेज चलाएंगे ।

अजय कहता है, भाई साहब बारिश हो रही है तेजी से नहीं गई हो सकती है। धीरज रखिए पैसेंजर के लाख कहने के बाद भी अजय धीरे-धीरे गाड़ी चला रहा था।

फिर अगले दिन गाड़ी मालिक ने अजय से कहा, अरे अजय खर्चा निकालने के लिए गाड़ी को चार ट्रिप करना पड़ता है ।कल आप केवल तीन ही ट्रिप लगाई है, पता है मुझे कितना नुकसान हुआ लोग बोल रहे थे, कि तेजी से बस गए और तुम पता नहीं क्या समझते हो कि तुम अपने हो।

अजय कहते हैं, कि मालिक कल बारिश के कारण ही मैं 3 ट्रिप तक लगा पाया हूं। और यात्री को क्या पता कि ड्राइवरी कैसे की जाती है, कोई एक्सीडेंट ना हो जाए इसीलिए मैं धीरे-धीरे चला रहा था आप उनकी बातों में ध्यान मत दीजिए।

फिर मालिक कहते हैं, याद रखिए हमें वही पैसे देते हैं हमें उन्हीं के हिसाब से काम करने हैं ऐसे कहकर अजय को नौकरी से नौकरी देता है।

वह अपना उदास चेहरा लेकर वहाँ से वापस आ जाता है।

फिर शाम को चारों ओर से फिर से चबूतरे पर एकत्र हुए फिर विजय ने कहा अरे यह तो तुम्हारे साथ गलत हुआ, क्या यात्रियों को पता नहीं है, कि बारिश में तेजी से गाड़ी चलाने पर एक्सीडेंट हो सकता है।
उदय बेन ने कहा, अरे आजकल के लोग ऐसे ही गए हैं। वहाँ वहाँ नौकरी मत करो यही अच्छा होगा
विनय कहता है, कि चलो सब छोड़ो और अजय को कहते हैं कि तुम खुद एक बस खरीद कर उसे चले जाओ।

अजय कहते हैं, कि मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं कि मैं खुद का एक बस खरीद सकूं।

विनायक कहते हैं, कि मैं अपने बैंक मैनेजर से आपको लोन दिलाने के लिए बात करता हूं आप उससे एक पुरानी बस खरीद कर अपना धंधा शुरू कर लेना।

फिर उन्हें लोन मिला और वे एक सेकंड के हफ्ते बस खरीदे। उसे उदय अच्छे से पेंट करने लगा, और विजय ने उस बस के टायर लगा दिए और बस को अच्छी तरह से साफ करने पर वह बिल्कुल नई जैसी पॉलिशने लगा दी।

धीरे-धीरे उसका धंधा अच्छा से चलने लगा और उसने बहुत पैसा कमा कर उसे देख कर उसे पहला मालिक जलाने लगा।

एक दिन फिर जोरों से बारिश हुई और अजय बस को धीरे धीरे चली जा रही थी, तो उसके पहले मालिक के बस को एक ड्राइवर चलाने हुए तेजी से ओवरटेक कर जाता है, लेकिन वह संभाल नहीं पाता और वह एक पेड़ से टकराकर उलट जाता है।

अजय ने वहां गाड़ी रोक दी और जिन लोगों को चोटे आई थी, उन्हें लेकर गांव वापस लौट गए।

जब उस बस के मालिक को अपने बस के बारे में पता चला तो, उसने सिर पकड़ कर रोने लगा।

तो दोस्तों पैसों से भी बहुत दोस्ती की अहमियत होती है, हमें इस कहानी से यही सीख मिलती है।

बस वाले की सफलता , कहाँनी , kahani

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