Kahani: साइकिल चोर का कहानी
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साइकिल चोर का कहानी, kahani, kahaniyan
Kahani: चंबल पुर गांव के पास एक बहुत बड़ा जंगल था, जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे, वे जंगल के फल फूल को खाकर जीवन व्यतीत करते थे।
उस जंगल में एक गोरिल्ला भी रहता था, उसके साथ दो चार बंदर भी जंगल के फल खाकर जीवन व्यतीत करते थे।
एक बार एक आदमी साइकिल से जंगल पर आया और पेड़ पर लगे फल को तोड़ने लगा और साइकिल चलाकर जाने लगा।
फिर एक बंदर ने कहा देखा गोरिल्ला मामा, वह कैसे हमारे जंगल का फल तोड़कर ले जा रहा है गोरिल्ला ने कहा ले जाने दो भूख लगी होगी विचारे को।
अगले दिन दो व्यक्ति आय और फल तोड़कर जाने लगे। यह सब बंदर और गोरिल्ला देखने लगे और फिर अगले दिन 4 लोग आए और फल तोड़ कर चले गए।
फिर इसी तरह लोग आते गए और फल तोड़कर ले जाते गए । तब बंदर ने कहा देखा गोरिल्ला मामा यह लोग यहां से फल तोड़कर बाजार में ले जाकर बेच रहे हैं। हां तुम सही कह रही हो इसीलिए कहते हैं दुनिया में सबसे हानिकारक जंतु मनुष्य ही है।
गोरिला कहता है, इन्हें सबक सिखाना ही होगा ।उसी रात गोरिल्ला गांव आया और साइकिल को चलाते हुए जंगल चला आया और जंगल आकर साइकिल की टुकड़े-टुकड़े कर कर उसे यहां वहां बिखेर दिया । ऐसा ही रोज रात को गोरिल्ला साइकल को लाता है और उसे तोड़कर यहां वहां बिखेर देता है।
रोज साइकिल गायब होने लगे तो लोग जमींदार के पास आने आने लगे।
और एक महिला ने बोला जमींदार साहब हमारे गांव से प्रतिदिन एक साइकिल चोरी हो रहा है, कल मेरे पति का भी साइकिल चोरी हो गया फिर एक व्यक्ति ने कहा, हां हां जमींदार साहब मेरी भी एक साइकिल चोरी हो गई है । तब तीसरा व्यक्ति बोला था जमीदार साहब मेरे साइकिल चोरी हुए तो एक हफ्ता हो गया है लगता है हमारे गांव पर किसी साइकिल चोर की नजर लगी हुई है।
तब जमींदार ने कहा प्रतिदिन एक साइकिल चोरी हो रहा है यह तो रहस्य की बात है, तभी एक बच्चे ने कहा कि जमींदार साहब मैं रात को एक गोरिल्ला को साइकिल ले जाते हुए देखा मैंने मम्मी पापा को बताया भी पर उन्होंने मेरी बात नहीं मानी।
फिर सभी लोग लट्ठ लेकर जंगल की ओर जाने लगते हैं।
थोड़ी दूर जाने पर उन्हें एक साइकिल का पहिया मिला और थोड़ी दूर जाने पर साइकिल का हैंडल यूं धीरे-धीरे करते-करते उन्हें साइकिल का पुर्जा पुर्जा मिलने लगा ।
थोड़ा दूर जाने पर एक बंदर का बच्चा साइकिल के पहिए के साथ खेल रहा था और वहीं पर गोरिला भी था।
जमींदार साहब ने कहा क्यों रे गोरिल्ला हमारे गांव से साइकिल चुराता है, हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी साइकिल चुराने की।
तब गोरिल्ला ने कहा मैंने चोरी नहीं की मैंने केवल बदला लिया है, चोरी तो आप लोगों ने की है आप लोग फसल उगा सकते हैं, जानवर को मारकर खा सकते हैं, मेहनत कर सकते हैं, फिर भी हमारे फल चुराते हो।
तब जमींदार कहता है कि हां ठीक है गोरिला भाई, हम समझते थे कि केवल खुद ही जीना जरूरी है लेकिन हमें पता चल गया कि सहजीवी यों को भी जिंदा रखना आवश्यक है ।मैं आपको आश्वासन दिलाता हूं, कि आज से कोई फल नहीं तोड़ेगा।
तो बच्चों आज की कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमें केवल अपने बारे में नहीं सोचना चाहिए दूसरों के बारे में भी ध्यान देना चाहिए।
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