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दो बिल्ली और बंदर कहानी, चित्रों के साथ दो बिल्लियों और एक बंदर की कहानी

दो बिल्ली और बंदर कहानी, चित्रों के साथ दो बिल्लियों और एक बंदर की कहानी

दो बिल्ली और बंदर कहानी :-


 Video source- youtube|video by-kookootv

बहुत समय पहले एक जंगल में एक चालाक बंदर रहता था, वह बहुत चालाक था, वह जंगल में ही एक झोपड़ी बनाकर उसमें बड़े आराम से रहता था।

एक दिन उसे जोरों की भूख लग जाती है, और वह कहता है कि अब तो मुझे बहुत भूख लगी है, मेरे पास तो कुछ खाने के लिए भी नहीं है, चलो बाहर जाकर कहीं से खाने का इंतजाम करके आता हूं।

फिर बंदर बड़े आराम से इस पेड़ से, उस पेड़, उस पेड़ से, इस पेड़ कूदते-मस्ती करते हुए खाने की तलाश के लिए चला जाता है।

पास ही में एक गांव था, जहां चुलबुल और भूरी नाम की दो बिल्ली थी चुलबुल नीले रंग की तथा भूरी भूरे रंग की थी, वे दोनों बहुत ही अच्छे दोस्त थे, जहां भी जाते साथ-साथ जाते थे।

वे दोनों पूरे गांव में घूमती खेलती-कूदती और घरों में एक साथ चोरी करके खा कर भाग जाती और दिनभर पूरे गांव में इधर-उधर घूम-घूम कर दोनों एक साथ मस्तियां करती।

एक दिन


उन दोनों बिल्लियों को खेलते-खेलते भूख लग गई, वे दोनों किसी घर की तरफ आगे जा रहे थे, कि उन्हें रास्ते पर एक रोटी मिली।

फिर चुलबुली ने कहा, कि अच्छा हुआ बुरी हमें रास्ते में ही रोटी मिल गई, अब हमें ज्यादा मेहनत नहीं करना पड़ेगा और फिर उस रोटी की ओर बढ़ जाते हैं।

पेड़ के पास से बंदर उस रोटी को बिल्लियों के हाथ में देख कर ललचा रहा था और सोच रहा था, कि मुझे तो बहुत भूख लगी है काश यह रोटी मेरे हाथ में होती।

लेकिन रोटी एक थी और बिल्लियां दो थी, तो समस्या यह थी, कि एक रोटी को वे दोनों बिल्लियां आपस में कैसे बाटे, इसीलिए वे दोनों झगड़ा करने लगे। यह रोटी मेरी है, यह रोटी मेरी है।

बिल्लियों को झगड़ते देख बंदर उनका आनंद ले रहा था और फिर थोड़ी देर में उन दोनों बिल्लियों के पास गया और पूछा क्या हुआ ?

फिर भूरी ने कहा कि बंदर भाई यह मेरी रोटी है, यह मुझे रोटी नहीं दूंगी कह रही है, जबकि इस रोटी को मैंने पहले देखा है।

चुलबुली ने कहा, कि नहीं बंदर भाई यह रोटी पहले मैंने देखा था, यह पहले मेरे हाथ में आई है, तो मैं इसे रोटी नहीं देना चाहती।

बंदर


कहता है, कि तुम लोग लड़ो मत मैं इस रोटी का दो हिस्सा कर देता हूं। फिर तुम दोनों बराबर बराबर खा लेना फिर दोनों बिल्लियां उसकी बात मान जाती हैं।

फिर बंदर चालाकी के साथ उस रोटी को एक का बड़ा हिस्सा और एक को छोटा हिस्सा कर देता है, फिर बिल्लियां झगड़ने लगती है, कि बड़ा हिस्सा मैं खाऊंगी छोटा हिस्सा तू खाना।

बंदर ने कहा कि तुम दोनों झगड़ा मत, मेरे पास इसका भी तरकीब है, ऐसा कहा और फिर दोनों को बराबर करने के लिए उसने बड़ी टुकड़े में से थोड़ा रोटी खाया, लेकिन उस रोटी को खाने से दूसरा वाला टुकड़ा बड़ा हो गया। फिर से उस बड़े टुकड़े को बराबर करने के लिए जब उसे खाता है तो दूसरी रोटी बड़ी हो जाती है, यह सिलसिला चलता रहता है और रोटी खत्म हो जाती है।

फिर दोनों बिल्लियां कहती है, कि बंदर तू ने हम दोनों को धोखा दिया है, तूने तो सारी रोटी ही खा ली, यह क्या किया हम तुम्हें नहीं छोड़ेंगे और जैसे ही बिल्लियां उस बंदर को दौढ़ाती है तो वह बंदर छलांग लगाकर पेड़ों के पेड़ों पर कूदकर जंगल पहुंच जाता है।

फिर दोनों बिल्लियां कहती है, कि बंदर तू ने हम दोनों को धोखा दिया है, तूने तो सारी रोटी ही खा ली, यह क्या किया हम तुम्हें नहीं छोड़ेंगे और जैसे ही बिल्लियां उस बंदर को दौढ़ाती है तो वह बंदर छलांग लगाकर पेड़ों के पेड़ों पर कूदकर जंगल पहुंच जाता है।

दो बिल्ली और बंदर की कहानी से शिक्षा :-
हमेशा दो लोंगो की झगड़े में तीसरे को फायदा हो जाता है, अतः दो लोगो को अपने झगड़े स्वयं सुलझाने चाहिए।

दो बिल्ली और बंदर कहानी, चित्रों के साथ दो बिल्लियों और एक बंदर की कहानी

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