papad wale ki safalta cartoon kahani , पापड़ वाले की सफलता हिंदी
papad wale ki safalta cartoon kahani , पापड़ वाले की सफलता हिंदी
video source- youtube| video by- Majedar kahani
papad wale ki safalta cartoon kahani , पापड़ वाले की सफलता हिंदी
कहानी : एक गांव में इस संजू भाई नाम का एक बुड्ढा रहता था, उसका एक पापड़ का दुकान था, उसने वह कई किशम का पापड़ बेचता था जिसमें उसने कई पैसे कमाए।
उसके दो बेटे थे दोनों की शादियां हो गई थी, और उनके बच्चे भी थे, पर दोनों निकम्मे थे और व्यापार में अपने पिताजी की मदद भी नहीं करते थे।
एक दिन उसका बेटा नवीन कहता है, कि पिताजी मुझे ₹10 हजार चाहिए, अपने दोस्त की बहन की शादी के लिए, बाद में वह लौटा देगा।
फिर उसका छोटा बेटा भी कहता है बाबू मुझे भी ₹10हजार चाहिए, मेरे दोस्त के पिताजी को हॉस्पिटल में एडमिट कराना है।
फिर संजू कहता है, कि ऐसे झूठ बोलकर कब तक पैसे उड़ा ओगे। फिर उसके बेटे ने कहा देना है तो दो नहीं तो डटो मत यह सब जो कमा रहै है वह सब हमारे लिए ही तो है,यह सब कह कर वह दोनों वहां से चले गए।
एक बार व्यापार में काफी घाटा हुआ लेनदार भी घर पर आकर चिल्लाने लगे।
फिर संजू कहता है, कि रुको भाई शांत रहो सब्र रखो मैं दुकान और घर भेज कर आप सब की उधार चुका दूंगा।
फिर अगले दिन नवीन और उसका छोटा भाई दोनों घर छोड़कर जाने लगे फिर संजू ने कहा यूं मुसीबत के समय हमें साथ रहना चाहिए बेटा। फिर संजू और उसका भाई कहता है, कि जब यह घर ही नहीं रहा तो हम यहां क्या करेंगे और आपका उधार हमारे सर थोपने की चालाकी कर रहे हो पिताजी, ऐसा कहकर वह दोनों वहां से चले गए।
फिर संजू का एक दोस्त था, जिसका नाम राजेंद्र था वह आया और दोनों बातें करने लगे और राजेंद्र भी व्यापारी था उसने संजू को व्यापार के बारे में बताया और उसके व्यापार को बढ़ाने के लिए उसे प्रोत्साहित भी किया।
और संजू को पापड़ व्यापार को बढ़ाने के लिए लागत के रुपए भी दिए।
उस दिन से संजू घर-घर जाकर पापड़ को बेचने लगा, धीरे-धीरे उसने फिर से अपना एक दुकान खोला और बड़ी-बड़ी गाड़ियों में शहर में भी अपने पापड़ को बेचने लगा।
धीरे धीरे पापड़ भेजने वाले गाड़ियों की संख्या भी बढ़ने लगी और उसने अपना घर फिर से खरीद लिया।
फिर संजू राजेंद्र के पैसे लौटाते हुए कहता है, कि राजेंद्र तुमने मेरी बहुत मदद की है, उसी बात के समय मेरे अपने भी साथ छोड़ कर चले गए थे, पर तुम ने मेरा साथ दिया है मैं तुम्हारी इस उपकार को कभी नहीं भूलूंगा।
फिर उनके दोनों बेटे लौट आए और कहा पिताजी हमसे गलती हुई है हमें क्षमा कीजिए। फिर उनके पिताजी संजू ने कहा अभी तुम लोग बच्चे हो बेटा गलती करना स्वाभाविक है ,आओ आप सब लोग मिलकर रहते है।
फिर वे दोनों अपने पिताजी की व्यापार में मदद करने लगे हर सुख दुख में साथ रहने लगे।
तो आज की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है, कि हमें दुख में साथ देकर धूप दुख में साथ नहीं छोड़ना चाहिए।
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कहानी : एक गांव में इस संजू भाई नाम का एक बुड्ढा रहता था, उसका एक पापड़ का दुकान था, उसने वह कई किशम का पापड़ बेचता था जिसमें उसने कई पैसे कमाए।
उसके दो बेटे थे दोनों की शादियां हो गई थी, और उनके बच्चे भी थे, पर दोनों निकम्मे थे और व्यापार में अपने पिताजी की मदद भी नहीं करते थे।
एक दिन उसका बेटा नवीन कहता है, कि पिताजी मुझे ₹10 हजार चाहिए, अपने दोस्त की बहन की शादी के लिए, बाद में वह लौटा देगा।
फिर उसका छोटा बेटा भी कहता है बाबू मुझे भी ₹10हजार चाहिए, मेरे दोस्त के पिताजी को हॉस्पिटल में एडमिट कराना है।
फिर संजू कहता है, कि ऐसे झूठ बोलकर कब तक पैसे उड़ा ओगे। फिर उसके बेटे ने कहा देना है तो दो नहीं तो डटो मत यह सब जो कमा रहै है वह सब हमारे लिए ही तो है,यह सब कह कर वह दोनों वहां से चले गए।
एक बार व्यापार में काफी घाटा हुआ लेनदार भी घर पर आकर चिल्लाने लगे।
फिर संजू कहता है, कि रुको भाई शांत रहो सब्र रखो मैं दुकान और घर भेज कर आप सब की उधार चुका दूंगा।
फिर अगले दिन नवीन और उसका छोटा भाई दोनों घर छोड़कर जाने लगे फिर संजू ने कहा यूं मुसीबत के समय हमें साथ रहना चाहिए बेटा। फिर संजू और उसका भाई कहता है, कि जब यह घर ही नहीं रहा तो हम यहां क्या करेंगे और आपका उधार हमारे सर थोपने की चालाकी कर रहे हो पिताजी, ऐसा कहकर वह दोनों वहां से चले गए।
फिर संजू का एक दोस्त था, जिसका नाम राजेंद्र था वह आया और दोनों बातें करने लगे और राजेंद्र भी व्यापारी था उसने संजू को व्यापार के बारे में बताया और उसके व्यापार को बढ़ाने के लिए उसे प्रोत्साहित भी किया।
और संजू को पापड़ व्यापार को बढ़ाने के लिए लागत के रुपए भी दिए।
उस दिन से संजू घर-घर जाकर पापड़ को बेचने लगा, धीरे-धीरे उसने फिर से अपना एक दुकान खोला और बड़ी-बड़ी गाड़ियों में शहर में भी अपने पापड़ को बेचने लगा।
धीरे धीरे पापड़ भेजने वाले गाड़ियों की संख्या भी बढ़ने लगी और उसने अपना घर फिर से खरीद लिया।
फिर संजू राजेंद्र के पैसे लौटाते हुए कहता है, कि राजेंद्र तुमने मेरी बहुत मदद की है, उसी बात के समय मेरे अपने भी साथ छोड़ कर चले गए थे, पर तुम ने मेरा साथ दिया है मैं तुम्हारी इस उपकार को कभी नहीं भूलूंगा।
फिर उनके दोनों बेटे लौट आए और कहा पिताजी हमसे गलती हुई है हमें क्षमा कीजिए। फिर उनके पिताजी संजू ने कहा अभी तुम लोग बच्चे हो बेटा गलती करना स्वाभाविक है ,आओ आप सब लोग मिलकर रहते है।
फिर वे दोनों अपने पिताजी की व्यापार में मदद करने लगे हर सुख दुख में साथ रहने लगे।
तो आज की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है, कि हमें दुख में साथ देकर धूप दुख में साथ नहीं छोड़ना चाहिए।
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