the golden swan story in hindi ( सोने का हंस कहानी हिंदी में )
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The golden swan
शकुंतला नाम के एक गांव में सोनू नाम का एक मछुआरा रहता था, उसकी पत्नी का नाम ललिता था, और उनके दो बच्चे भी थे, वह प्रतिदिन तालाब जाता और तालाब में मछलियों को पकड़ना और उसे पकड़कर बेचता था, उससे जो पैसे मिलता उसी से अपना गुजारा करता था।
एक दिन
जब वह रास्ते से जा रहा था, तालाब। तब वह रास्ते में एक सुनहरे हंस को देखता है, वह उस हंस को पकड़ कर देखता है, तो उसे एहसास होता है, कि वह अभी जिंदा है, तो वह सोचता है कि उसे अगर मैं पानी में डालूंगा तो इसको होश आ जाएगा।
और फिर
सोमू उस हंस को उठाकर तालाब में डाल देता है और थोड़ी ही देर में इस हंस को होश आ जाता है, और फिर वह तैरने लगता है, हंस सोमू से कहता है, कि भाई तुमने मेरी जान बचाई है, क्या हम दोनों दोस्त बन सकते हैं, और फिर भी दोनों अच्छे दोस्त बन जाते हैं ?
एक दिन
समूह के घर के सामने एक महाजन आए, उसने सोमू से कहा कि सोमू तुम्हें घर का कर्जा चुकाये बहुत दिन हो गया है, तुम यह कर्ज नहीं चुका पा रहे हो, कल तुम्हारे घर की नीलामी करनी होगी। अब तुम दोनों कल ही घर खाली कर देना।
ललिता अपने पति सोमू से कहती है, कि एक ही यह घर बचा था, जो कमाते थे, उस में गुजारा हो जाता था, लेकिन अब तो यह घर भी छिन गया, अब कहां जाएंगे हम लोग।
उतने में ही वह हंस वहां आ जाता है और सोमु से कहता है, कि क्या दोस्त अगर एक दोस्त दोस्त के काम नहीं आएगा, तो किस के काम आएगा। यह लो यह मेरे पंख सोने के हैं, तुम एक पंख उखाड़ लो और इससे अपने घर का कर्जा चुका लेना।
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सोमू एक पंख उखाड़ लेता है, और उस पंख को बेच कर अपने घर का कर्जा चुका लेता है, और अब से वह उसे जब भी पैसों की जरूरत पड़ती थी, वह उस बतख के पंख को उखाड़ लेता था।
इस तरह धीरे-धीरे वह सोमु एक बड़ा सा घर बना लेता है, और उसमें बड़े ठाठ से रहने लग जाता है, वह सोफा फ्रिज, गाड़ी, बंगला सब कुछ खरीद लेता है।
1 दिन
उसकी पत्नी कहती है, कि देखिए जी रामचरण के यहां एक बगीचा है, वह लोग उसे बेचना चाहते हैं, अगर आप कहें तो हम उसे खरीद लेते हैं, बच्चों के काम आएगा।
सोमू कहता है, कि नहीं नहीं हमारे पास जितने हैं, उतने ही बच्चों के लिए काफी है, अभी हम और लालच नहीं करना चाहिए। मैं तुम्हारे कहने पर कई बार झूठ बोलकर उस हंस कि पंखों को तोड़ चुका हूं। बस अब और नहीं तोड़ सकता।
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उसकी पत्नी बुद्बुड़ाते हुए कहती है, कि हां जाओ-जाओ अगर कल वह बता कहीं उड़ गया ना तो, फिर हाथ मलते रह जाओगे। अब तो मुझे ही कुछ करना पड़ेगा, यह तो कुछ करने वालों में से नहीं है।
कुछ समय बाद वह हंस सोमु के घर आ जाता है और उसकी पत्नी कहती है, कि सोमु अभी घर में नहीं है, वह थोड़ी देर में आ जाएगा, तब तक यह फल खाओ, ऐसा कहकर उसका गला दबोच लेती है, और उसे कसकर पकड़ लेती है।
फिर उसकी पत्नी
ललिता कहती है, कि क्यों रे, हम लोगों को मूर्ख समझता है, जब तू हमें पंख देगा तभी हम लेंगे, अब तो मैं तुम्हारे सारे पंख उखाड़ लूंगी, फिर बिचारा हंसकर फरफराते हुए कहता है, कि नहीं मत करो, मत करो दर्द हो रहा है।
मत उखाड़ो मेरे पंख, तुम बहुत लालची हो, तुम्हारे ही कारण मैंने अपना अच्छा दोस्त खो दिया। तुम बहुत ललचही हो, लेकिन यह सब करने से तुम्हें भी कुछ नहीं मिलेग, क्योंकि जब मैं अपने मर्जी से अगर यह पंख किसी को दूंगा तभी वह सोने का रहेगा। अन्यथा वह मामूली पंख बन जाएगा, ऐसा कहता है, और वहां से उड़ जाता है।
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उतने में ही सोमू घर आ जाता है और उसकी पत्नी सारे घटना को अपनी पति सोनू को बता देती है और फिर सोमू अपनी पत्नी को कहता है, कि छि छी तुम्हारे जैसा लालची मैंने कभी नहीं देखा, तुम्हारे कारण ही मैं अपनी अपना अच्छा दोस्त खोया है।
और फिर वह सोने का हंस उस गांव से कहीं दूर चले जाता है, और कभी उसको लौटकर नहीं आता।
तो बच्चों आज की कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है, कि हमें कभी भी ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए, लालच से हमेशा हमारा ही नुकसान होता है, तो हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए।
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