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Jadui nadi ki hindi kahani- जादुई नदी की कहानी हिंदी में

Jadui nadi ki hindi kahani- जादुई नदी की कहानी हिंदी में

Jadui nadi
Video source- yotube|video by- Hindi moral story

Jadui nadi


बालू नाम के एक गांव में एक गरीब किसान और उसकी पत्नी रहते थे, उस किसान का नाम श्रीनिवास और उसकी पत्नी का नाम लक्ष्मीबाई था, वे लोग गरीब थे।

वे दोनों दिन भर खेत में कमाते लेकिन फिर भी उन लोगों ने दोनों को भरपेट भोजन का प्रबंध नहीं हो पाता था, एक दिन दोनों साथ बैठकर रुखा सुखा खा रहे थे, तब उसकी पत्नी लक्ष्मी ने श्री निवासी कहा, कि कब तक हम ऐसी जिंदगी जिएंगे। हमारा भाग्य बहुत खराब है, हमें भरपेट भोजन भी नहीं मिल पता। कब तक ऐसी रहेंगे, फिर उसका पति उसे दिलासा देते हुए कहता है, कि सब कुछ ठीक हो जाएगा सब्र रखो।

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फिर उस रात वो लोग दोनों खाना खा कर सो जाते हैं, उसी रात लक्ष्मी को एक साधु सपने में आते हैं और वह साधु लक्ष्मी से कहते हैं, कि लक्ष्मी मैं तुम्हारी गरीबी से चिंतित होकर मैं, तुम्हें अमीर बनने का एक रहस्य बताता हूं, और फिर उसे वह रहस्य बता देते हैं।

अगले दिन 


भी प्रतिदिन की तरह उसका पति श्री निवास खेत जाने के लिए तैयार हो रहा था, वह एक टोकरी में खाने के लिए खाना, पानी सब कुछ लेकर तैयार हो गया था, तभी उसकी पत्नी ने श्रीनिवास से कहा, कि मैंने एक सपना देखा।

मेरे सपने में एक साधु आए थे और उन्होंने हमें अमीर बनने का रहस्य बताया है, श्रीनिवास कहता है, कि हां-हां चुपचाप खाना खाओ और सो जाओ, हो सकता है और कुछ बता दे। श्रीनिवास उसकी सपने को गंभीरता से नहीं लेता।

लक्ष्मी कहती है, कि एक बार बताए हुए रहस्य का पालन करके तो देखते हैं, हो सकता है, कि हम अमीर बन जाएं। फिर श्रीनिवास साधु के बताए हुए रहस्य को लक्ष्मी से पूछता है।

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लक्ष्मी कहती है, कि हमारे गांव से 50 मील दूर सरयू नदी में जाना है और सरयू नदी से प्रार्थना करना है, कि हे सरयू माता  कई परेशानी है, हमें वरदान दीजिए। तब श्रीनिवास कहता है ,कि अरे हमें नदी पानी दे सकती है, वरदान नहीं फिर भी लक्ष्मी कहती है, कि नहीं नहीं हमें एक बार उस बताए हुए रास्ते पर अवश्य जाना चाहिए।

वे दोनों सरयू नदी की ओर निकल पड़ते हैं, धन की चाह में वे दोनों बिना थके ही जल्दी सरयू नदी के पास पहुंच जाते हैं, और शरीर नदी के पास जाकर वे दोनों सरयू माता से प्रार्थना करते हैं, कि हे माता हमें बहुत कष्ट है, कृपया हमें वरदान दीजिए।

और जब दोनों आंख खोलते हैं, तब वहां की कोई भी प्रकट नहीं होता और श्रीनिवास कहता है, कि देखा मैंने कहा था ना,  कि ऐसा कुछ नहीं होगा। तुमने बिना मतलब के ही हमें यहां तक ला लिया और उसे घर ले जाने के लिए कहा। फिर भी लक्ष्मी नहीं मानी और एक बार फिर से प्रार्थना की।

इस बार सच में सरयू माता प्रकट हुई और फिर निवास ने उस माता से कहा कि माता हमें हम बहुत गरीब हैं, हमें धनवान बना दीजिए। फिर लक्ष्मी अपने पति को भी बुद्बुड़ाते हुए कहती है, कि नहीं हमें यह नहीं मांगना चाहिए माता बार-बार नहीं आएंगी।

फिर 


लक्ष्मी मां सरयू माता से वरदान माँगती है, कि मैं जिस भी चीज छू वह सोने का बन जाए और मात उसे वरदान दे देती है, दोनों खुशी-खुशी घर आते हैं और घर आते लक्ष्मी अपने घर को छूती है और घर सोने बन जाता है।

तब लक्ष्मी टेबल को छू लेती है और वह भी सोने में तब्दील हो जाता है, जब उसे प्यास लगी तो वह गिलास लेकर पानी निकालने जा रही थी, तो वह पूरा सोने में तब्दील हो गया और जब उसे भूख लगी तो वह खाने जा रही थी, तब चावल को छूते ही वह भी सोने में तब्दील हो गया।

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वह यह सब बात अपने पति को बता देती है और अपने आप को कोसती है, यह धन हमारे किस काम का जो हमारी भूख प्यासी ना मिटा सके और गलती से अपने पति को ही छू देती है, वह भी एक सोने की मूर्ति में तब्दील हो जाती है।

वह अपने आप को कोसती रहती है, कि मैंने लालच क्यों किया, मुझे इसकी जरूरत नहीं है, अब मैं क्या करूं सोचती है, लेकिन वह कुछ नहीं कर पाती।

तो बच्चों आज की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है, कि हमें कभी भी इच्छाएं तो करनी चाहिए। लेकिन लालची नहीं बनना चाहिए, लालच बुरी बला है लालच से हमारा ही नुकसान होता है।

Jadui nadi ki hindi kahani- जादुई नदी की कहानी हिंदी में

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