jadui juta story in hindi video mein - जादुई जुता
jadui juta
jadui juta
एक शहर में विशाखा नाम की एक लड़की थी, वह बहुत ही प्यारी, समझदार और बुद्धिमान थी, लेकिन वह पैर से अपाहिज थी, वह अपने मम्मी पापा की सारी बात मानती थी, वह उन्हें कभी भी नाराज नहीं करती थी, वे हरी हरी सब्जियां भी खाती थी और स्कूल का होमवर्क भी करती थी।
वह प्रतिदिन सपने भी देखती थी, जिसमें वह आपने बहुत सारे दोस्तों के साथ खेल रही है, कूद रही है, दौड़ रही है, वह भी बिना बैसाखी के। उसे बहुत खुशी होता था, तभी वह अचानक उठ जाती थी और उसे बहुत बुरा लगता था।
इसलिए विशाखा अपने माता-पिता की लाडली भी थी, उनके माता-पिता विशाखा को खुश रखना चाहते थे, इसलिए उसे कभी-कभी बीच पर या पार्क पर घुमाने के लिए भी ले जाया करते थे, लेकिन फिर भी वह खुश नहीं थी, क्योंकि उसकी कोई भी दोस्त नहीं थी।
1 दिन स्कूल में विशाखा खिड़की से बाहर बच्चों को खेलते हुए देख रही थी और सोच रही थी कि वह उन लोगों के साथ बिना बैसाखी की खेल रही है।
यह भी पढ़े :- जादुई नदी की कहानी
यह भी पढ़े :- जादुई नदी की कहानी
तभी उसकी टीचर कहती है, कि कल स्पोर्ट्स डे है, कल सबको स्पोर्ट्स में भाग लेना है, फिर स्कूल का एक छात्र कहता है, कि सभी तो भाग लेंगे लेकिन विशाखा भाग नहीं लेगी। क्योंकि वह अपाहिज है, फिर टीचरों उसे डॉटती है और विशाखा को सॉरी बोलने के लिए कहती है।
फिर
स्कूल की छुट्टी हो जाती है, और सभी लोग अपने घर चले जाते हैं, लेकिन विशाखा घर नहीं जाती वह पार्क में जाकर बैठ जाती और फूट-फूट कर जोर जोर से रोने लगती है, तभी उसे आवाज आई। वह यहां वहां देखने लगी फिर उसने ब्रेंच के नीचे देखा आवाज वहीं से आ रहा था।
ब्रेंच के नीचे कबूतर फंसा हुआ था, वह अपने घोसले में जाने के लिए फड़फड़ा रहा था, विशाखा ने उसकी मदद की और उसे उठाकर उसके घोसले में उड़ने के लिए कहा। उस कबूतर को देखकर कबूतर की माँ बहुत खुश हुई और उसने विशाखा से कहा कि मैं खुश हूं। इसलिए मैं भी तुम्हें कुछ देना चाहती हूं।
फिर
कबूतर अपने घोसले से जादुई जूते विशाखा को दे देती है, और फिर विशाखा कबूतर से कहती है, कि मैं इन जूतों का क्या करूंगी मैं तो अपाहिज हूं यह कबूतर की मां कहती है, कि यह जूते मामूली नहीं , जादुई जूते हैं। इसे पहनकर तुम खेल सकती हो, कुद सकते हो, नाच सकती हो विशाख बहुत खुश हो जाती है।
फिर विशाखा उन जूतों का पहनती है, तो सच में वह चलने लगती है, दौड़ने लगती है, बिना बैसाखी की अपने घर जाती है और अपने मम्मी पापा को चलते हुए गले लगा लेते हैं।उनके मम्मी पापा बहुत खुश होते हैं और फिर विशाखा सारी बात अपनी मम्मी पापा को बता देती है।
यह भी पढ़े :- सोने का हाथी की कहानी
यह भी पढ़े :- सोने का हाथी की कहानी
उसके मम्मी पापा भी बहुत खुश होते हैं, अगले दिन विशाखा स्कूल की सपोर्ट टीम में भाग लेती है और जीत जाती है उस दिन के बाद उसके पैर कभी नहीं रुके। वह खेलती, कूदती ,नाचती वह भी बिना किसी मदद के।
अब से वह कुछ कुछ दिनों में कबूतर और कबूतर की मां से मिलने जाया करती थी और उसे थैंक यू कहती थी, कि उसी के कारण आज वह चल सकते, खेल सकते।उसके सारे सपने सच होने लगे। उसके नए नए दोस्त भी बनने लगे।
तो बच्चों आज की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है, कि दूसरों की मदद करने से खुद की भी मदद होती है, इसलिए हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए।
![]() |
jadui juta story in hindi video mein - जादुई जुता |
:- जादुई दरवाज़ा हिंदी कहानी
:- जादुई नदी की कहानी
:- जादुई खरगोश की कहानी
:- सोने का हंस की कहानी
:- सोने का हाथी की कहानी
:- सोने का घोड़ा कहानी



0 टिप्पणियाँ
Please know me completely than comment