jadui bakri ki kahani - जादुई बकरी की कहानी
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jadui bakri-जादुई बकरी
रायगढ़ नाम की गांव में शंभू नाम का एक बच्चा रहता था, बिचारा अनाथ था, इसलिए वह मंदिर में ही रहता था और अपनी भूख मिटाने के लिए मंदिर का प्रसाद को ही खाया करता था।
जब मंदिर में कोई भी व्यक्ति, महिला या बुजुर्ग आते थे। तब सभी शंभू को कहते थे, कि पता नहीं इस बेचारे बच्चे का क्या होगा और जब वह है उसे पैसे देने की कोशिश करते तो, वह शंभू उन्हें मना कर देता और कहता कि मुझे पैसों की जरूरत नहीं है। हो सकता है तो काम दिला दीजिए। यह सुनकर सभी व्यक्ति खुश हो जाते थे और उसे आशीर्वाद देते थे।
एक दिन
चंद्रिका नाम की एक लड़की अपने माता पिता के साथ उस मंदिर में आई ,उसके हाथ में एक ही बढ़िया सा खिलौना था, उसे संभु घूरे जा रहा था, लड़की समझ गई और फिर संभु के पास गई और उसे खिलौना दे रही थी, शंभू उसे रखने वाला था, लेकिन उसने कहा, कि मैं इस खिलौने को ऐसे ही नहीं रख सकता।
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फिर वह लड़की सोची और शंभू से बोली, कि हमारे स्कूल के इंग्लिश मास्टर ने हमें पढ़ने के लिए दिया है, उसे जल्दी से 10 बार पढ़ना होगा, फिर मैं तुम्हें यह खिलौना दे दूंगी। शंभू मान जाता है और उसे कहता है कि चलो बताओ मैं पढ़ लूंगा।
फिर वह लड़की शंभू को बोलने के लिए कहती है, कि * सीसीएल शशि सेल्स ऑन द सीहोर * फिर वह लड़की उसका अर्थ बताती है, कि सीशेल्स नाम की एक लड़की समुंदर के पास शंख बेचती है और फिर वही शंभू को बोलने के लिए कहती है।
शुरू के दो तीन बार तो संभु नहीं बोल पाता, लेकिन तीसरे बार में वह आराम से बोलने की कोशिश करता है, फिर वह आराम से बोल लेता है।लेकिन वह लड़की कहती है, कि आराम से तो कोई भी बोल देगा। इसका प्रेक्टिस करो मैं अगले शुक्रवार को यहां आऊंगी और फिर तुम तेजी से बोलना।
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और फिर शंभू जहां भी जाता। वह उसी को बड़बड़ते रहता था, एक दिन वह गांव के रास्ते से जाता उसी शब्द को बड़बड़ा रहा था और उसने गांव की सीमा रेखा पार कर दी।
गांव की सीमा के बाहर एक दो राक्षस रहते थे, उनका आकार तो बहुत ही बड़ा था, लेकिन वह बहुत डरपोक थे, वह पेड़ में रहते थे, शंभू उस पेड़ के नीचे आकर वही अंग्रेजी का शब्द दोहराता रहता है।
तब
राक्षस राक्षसी से कहता है, कि यह मंदिर का लड़का है जरूर हमें बस में करने के लिए कोई मंत्र पढ़ रहा है, हमें जाकर इससे बात करनी होगी और फिर यह दोनों शंभू के सामने आ जाते हैं। संभू अचानक से डर जाता है और फिर पीछे मुड़कर दौड़ने ही वाला रहता है, फिर राक्षस कहता है, कि देखो बेटा हमें बस में मत करो हम इस पेड़ में शांति से रहते हैं।
शंभू समझ जाता है, कि यह दोनों मेरे से डर रहे हैं, इनकी थोड़ी देर खबर लेता हूं और फिर उन दोनों राक्षसों से कहता है, कि मेरा यह मंत्र बहुत शक्तिशाली है, इसका प्रभाव तो कम नहीं हो सकता। अगर इसे तुम दोनों भी बोल सकते हो तभी इसका प्रभाव कम हो सकता।
फिर
राक्षस कहते हैं, कि चलो कोई तो हल निकला। जल्दी बताओ वह मंत्र हम बोलेंगे फिर संभू दोनों को वह सब्द बताता है, लेकिन वह दोनों कहते हैं, कि शीशम शीशम सांचौर । वह दोनों नहीं बोल पाते और फिर संभू से कहती हैं, कि बेटा हम यह नहीं बोल पाएंगे हम तुम्हें इसके बदले एक बकरी दे देते हैं।
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शंभू भी उन लोगों को सबक सिखा सिखा कर थक गया था, इसलिए उसने हां कर दिया और उससे बकरी ले लिया और फिर उस बकरी को लेकर वह मंदिर में चला गया । जब शाम हुई तो शंभू ने उसे चारा खिलाया और उसके सर पर एक बार हाथ फेरा तो उस बकरी ने एक सोने का सिक्का दिया। शंभू को समझ नहीं आया, फिर से उसने दो बार हाथ फेरा फिर से बकरी ने दो सोने के सिक्के दिए । अब शंभू 10 बार हाथ फिरता है फिर वह बकरीद सोने के सिक्के देती है।
उन सोने के सिक्कों को वह मंदिर के पीछे छुपा देता है, और फिर अगले दिन उस बकरी और सोने के सिक्कों को लेकर उस राक्षस के पास जाता है, लेकिन वहां कोई नहीं था और फिर वह वह सोने सिक्कों से अपने स्कूल में भर्ती करता है और अच्छे से पढ़ाई करता है, धीरे-धीरे वह अमीर बनते जाता है और गरीबों की भी मदद करता है।
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कहानी से शिक्षा :-
तो बच्चों आज की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है, कि अगर बुद्धिमता और लगन साथ हो तो हमारा भविष्य उज्जवल हो सकता है।
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