goat story for kids ( बकरी की कहानी ) ~ Hindi kahaniyan
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विकाशपूरा नाम के एक गांव में आशुतोष नाम का एक व्यक्ति रहता था, वह गांव-गांव जाकर लोगो को ठगता था, और अपना जीवन यापन करता था।
एक दिन आशुतोष एक गांव पहुंचा, वहां चबूतरे में कई लोग एक साथ बैठे थे, फिर आशुतोष ने उन लोगों से कहा, कि मेरा नाम आशुतोष है, मैं विकाशपुर गांव का हूं, मैं मैंने सुना है, कि आपके काम में बहुत बुद्धिमान लोग है, लेकिन मैं आप सबसे ज्यादा बुद्धिमान हूं। फिर गांव वाले ने कहा चलो ज्यादा बड़ाई मत मारो वह बताओ कैसे हो तुम बुद्धिमान ? फिर आशुतोष कहता है, कि मैं जो बोल सकता हूं, वह तुम लोग नहीं बोल सकते लगी 5हजार की। फिर गांव वाले शर्त लगा देते हैं, फिर आशुतोष कहता है, कि जो जो को खोजो खोजो को जो जो जो जो को हो जा नहीं तो फिर जो जो हो जाएगा, ऐसा कहा ऐसा गांव वालों को कहने के लिए कहा, लेकिन गांव वाले नहीं बोल पाए और फिर उस गांव वालों से वह पैसा लेकर वहां से चला गया। 1 दिन गंगाराम नाम का एक व्यक्ति शहर से अपनी बेटी की शादी के लिए उधार से पैसे ला रहा था, रास्ते में आशुतोष एक कुत्ते के साथ खड़ा था, उसने कुत्ते को पहले से ही सीखा रखा था, कि जब भी उसे कोई जिमी करके पुकारेगा तो वह चार बार भौंकेगा। और जब गंगाराम आ रहा था, तब आशुतोष ने उसे रुकवा कर, उससे कहा कि काका जी यह कुत्ता बहुत बुद्धिमान है इसे गणित भी आती है मुझे पैसों की जरूरत है, इसलिए मैं इसे 2हजार में बेच रहा हूं। फिर गंगाराम कहता है, कि बेटा मैं इसे अपनी शादी अब अपनी बेटी की शादी के लिए ला रहा हूं, यह केवल दो हजार हैं, और मुझे मेरी बेटी की शादी के लिए बहुत पैसे चाहिए तुम भले इंसान लगते हो इसलिए मैं इसे खरीद लेता हूं, और फिर गंगाराम उसे खरीद लेता है। एक दिन राणा नाम का एक लड़का अपने दादाजी गंगाराम से मिलने आता है, और गंगाराम को उदास देखकर वह पूछता है, कि क्या हुआ दादा जी ? तब गंगाराम आशुतोष के साथ हुए सारी घटना के बारे में बता देता है। और फिर राणा कहता है, कि फिकर मत कीजिए दादाजी मैं आशुतोष के पास से सारे पैसे लाऊंगा और फिर एक बकरी को लेकर उसे ढूंढने निकल जाता है, उसके दादाजी के बताया अनुसार उसका हुलिया मिल जाता है। एक दिन आशुतोष सुनसान रास्ते से जा रहा था और राणा ने उसे देख लिया और फिर राणा ने आशुतोष से कहा कि भाई साहब इस बकरी को मैंने बहुत मुश्किल से बोलना सिखाया है, इसे मैं 20हजार में बेचूँगा क्योंकि मुझे पैसों की जरूरत है। फिर आशुतोष कहता है, कि पैसो की बात बाद में करना पहले तो ऐसे बोल कर दिखा। फिर राणा कहता है, राणा बकरी से कहता है कि बकरी अप्रैल के बाद कौन सा महीना आता है ? बकरी मई करती है फिर से राणा कहता है, कि यह बकरी जून से पहले कौन सा महीना आता है ? फिर बकरी कहती है कि मई। फिर राणा कहता है, कि देखो भाई अगर बकरी लेना है तो लो, कोई जोर जबरदस्ती नहीं है, मैं इसे राजा के पास ही बेच दूंगा, फिर आशुतोष बकरी को खरीद लेता है, और ठगा जाता है।
कहानी से शिक्षा :-
तो बच्चों आज की बकरी की कहानी हिंदी में से हमें क्या शिक्षा मिलती है, कि हमें कभी भी किसी को नहीं ठगना चाहिए, नहीं तो हम भी किसी दिन ठगा सकते हैं।
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