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Father's bussiness story, पिता का व्यवसाय, hindi kahaniya

Father's bussiness story, पिता का व्यवसाय, hindi kahaniya

Father's bussiness story, पिता का व्यवसाय, hindi kahaniya

video source- youtube|video by- Majedar kahani

Father's bussiness story, पिता का व्यवसाय, hindi kahaniya

Kahaniyan : एक गांव में दिनेश नाम का थाने रहता था, जिसके चार बेटे थे रमेश महेश सुरेश और नागेश।

फिर एक दिन दिनेश कहता है, कि बेटे मुझे समझ नहीं आ रहा है कि तुम चारों में से मेरा व्यापार अच्छे से कौन चला पाएगा? अब तो मैं बूढ़ा हो चुका हूं यह लो यह चावल के दाने जब मैं मांगू तब इसे देना।

रमेश ने सोचा कि इस चावल के दाने को क्या करूंगा और फिर उसे फेंक दिया।

महेश ने सोचा, कि मैं इस चावल के दाने को अभी फेंक देता हूं जब पूछेंगे तब कोई और चावल दिखा दूंगा।

सुरेश ने उस चावल को एक पुढ़िया में बांधकर अच्छे से कहीं पर छुपा दिया।

और ना किसने सोचा, कि इस चावल का मैं क्या करूंगा। इसे या तो खाया जाता है या तो उगाया जाता है, मैं इसे खा कर क्या करूंगा ? इसे ऊगा देता हूं। करके सोचा फिर उसने चावल को ऊगा दिया।

फिर उससे बहुत सारे चावल आए और फिर उस चावल को और उगा दिया । कुछ समय बाद केवल 10 चावल के दानों से बहुत बड़ा चावल का गट्ठा प्राप्त हुआ।

फिर दिनेश ने सबसे अपने दिए हुए चावल को मंगा।

रमेश और महेश ने चावल के बस्ते से थोड़े चावल निकाल कर लिए।

और सुरेश ने अपनी छुपाई हुई चावल की पुड़िया लाई और फिर तीनों से पूछा कि सच सच बताओ यह वो चावल नहीं है ना। फिर उन तीनों ने पूरी घटना को बताया।

फिर दिनेश नागेश से पूछता है कि तुम्हारे चावल कहां है बेटा सच-सच बताना।

फिर नागेश कहता है, कि मैंने उन दानों को खेत में ऊगा दिया है इस बार की फसल बहुत अच्छी हुई है, बस कल उसे काटना है।

दूसरे दिन नागेश ने दो बैल गाड़ी भर के चावल की बोरिया लाया, यह देखकर उसका पिता दिनेश बहुत खुश हुआ और अपने सारे कारोबार को अपने छोटे बेटे नागेश को दे दिया।

और फिर रमेश कहता है, कि पापा हम क्या करेंगे तो फिर दिनेश कहता है, कि तुम्हें बेकार चीजों को निकाल फेंकने की आदत है, तो तुम हमारे आलसी कर्मचारियों और बेकार कर्मचारियों को निकालोगे ।

और महेश में अनुभव करने की अच्छी कला है, तो है हमारे व्यापार के सारे चीजों को अनुभव करेगा और व्यापार को आगे बढ़ाएगा।

और सुरेश हर चीज को संभालना जानता है, इसलिए मैं उसे अपने कारोबार का सुरक्षा का कार्य सकता हूं।

फिर उन चारों बेटों ने मिलकर अपने पिता के व्यापार को बहुत बड़ा है।

घर गए तो बच्चों हर व्यक्ति में कोई ना कोई गुण होता है बस उसे परखने की आवश्यकता होती है।

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