lalchi jyotish aur tota ki kahani hindi me, लालची ज्योतिष की कहानी
lalchi jyotish aur tota ki kahani hindi me, लालची ज्योतिष की कहानी
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Kahani : जबलपुर नाम की एक गांव में भी पुर नाम का एक ज्योतिष रहता था, वह गांव कहां घूम घूम कर पति के साथ भविष्य बताता था, वास्तव में वह ज्योतिष नहीं था, वह व्यक्ति के कमजोरियों को भापकर अपने आपको ज्योतिष बताता था।
एक दिन एक गांव में चिल्लाते हुए कहता है, कि ज्योतिष बताता हूं, मैं भविष्य बताता हूं, भूतकाल भविष्यकाल बताता हूं, तोते को पिंजरे में लेकर घूम रहा था।
फिर वह चलते-चलते चौपाल के पास पहुंचा, वहां एक बूढ़े आदमी ने उससे पूछा, कि बेटा मेरा भविष्य बताओ, फिर भीगु ने तोता से कहा तोता,तोता इस ताऊजी का भविष्य बताओ, उनकी परेशानियों का कोई हल बताओ।
फिर तोता पिंजरे से बाहर आया और पत्ते में इसे लक्ष्मी जी की फोटो उठाई और फिर अंदर चला गया। फिर भीगु ने ताऊ जी से कहा कि आज से आपके लिए सभी दिन शुभ होगा, आज से आपकी सारी परेशानियां दूर हो जाएगी, लेकिन इसके लिए ₹500 की इस ताबीज को बांधनी होगी।
फिर वहां बुजुर्ग आदमी उस ताबीज को खरीद लेता है ।
और फिर शाम को जब तोता अपनी मालिक से कहता है, मालिक जी मुझे फल दो ना भूख लगी है, तब तोता भीगु कहता है कि तेरे को दिन में एक बार खाना खिलाता हूं वह कम है क्या?
फिर तोता सोचता है, कि मैं इसके लिए इसके बताए हर काम को करता हूं फिर भी मुझे खाना नहीं देता इसको सबक सिखाना होगा।
फिर एक दिन सिपाही ने भीगु को कहा कि महाराज जी को तुम्हारे बारे में पता चला है, तुम्हें अपनी भविष्य पता करने के लिए बुलाया है
दोनों जंगल के रास्ते महल जाने के लिए निकल गए, तेज धूप के कारण थोड़ी देर चलने के बाद वह दोनों थक गए फिर भी दोनों पेड़ के नीचे आराम करते करते सो गए।
और फिर बंदर तोते को पिंजरे में दिखता है और फिर तोता बंदर से कहता है, कि तुम बंदर जी मैं भविष्यवाणी वाला तोता हूं तुम जल्द ही तुम्हारे जीवन में राजयोग है,राजाजी तुम्हारी सेवा करेंगे।
फिर बंदर कहता है, कि मैं तुम्हारी बात पर कैसे विश्वास करूं मैं जंगल से राजा के पास कैसे जा सकता हूं, फिर तोता कहता है कि यदि तुम इस पिंजरे को खोल दोगे तो मैं तुम्हारे सभी ग्रहों का गणना करके अच्छे से बता सकता हूं, फिर बंदर पिंजरे को खोला।
इतने में भीगु उठ गया और तोता से कहा तोताराम तुम पिंजरे से बाहर कैसे आए। तोते ने बंदर से कहा, कि बंदर मित्र तुम्हारा धन्यवाद तुमने मुझे आजाद कराया। मैं कोई भविष्यवाणी नहीं जानता मुझे क्षमा करो।
फिर वह दोनों भाग गए...
फिर भिगु सोचने लगा, कि मैं तोते के बिना कैसे भविष्यवाणी बताऊंगा। तब सिपाही कहा कि वहां कोई भी तोता मिल जाएगा उसी से बता देना चलो जल्दी चलो।
फिर दोनों महाराज के पास गए फिर, भीगु ने अपनी सारी करतूत महाराज जी को बता दिया। फिर उसको महाराज ने कैद खाने में डाल दिया।
तो बच्चों हमें हमारी मदद करने वाले का एहसान मानना चाहिए नहीं तो इसमें हमारी ही नुकसान है।
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