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ghamandi taxiwala hindi kahani,घमंडी टैक्सी वाला कहानी

Kahani : ghamandi taxiwala hindi kahani,घमंडी टैक्सी वाला कहानी 


ghamandi taxiwala hindi kahani,घमंडी टैक्सी वाला कहानी

video source- youtube| video by- majedar kahani

ghamandi taxiwala hindi kahani,घमंडी टैक्सी वाला कहानी


कहानी : दुर्गापुर नाम के गांव था। गांव वालों को अगर दुर्गापुर से शहर तक जाना होता तो सुबह एक ही बस आता था, अगर वह बस छूट जाता तो बस फिर दूसरे दिन ही आती। इसलिए स्कूल जाने वाले बच्चे और नौकरी पर जाने वाले लोग सुबह जल्दी जल्दी आ जाते थे, ताकि बस न छूट जाए ।

उस दिन बस आया कंडक्टर ने कहा जल्दी-जल्दी चढ़ो, जल्दी-जल्दी।

सब लोग बस पर चढ़ गए तो कंडक्टर ने फिर से कहा,कि सब चढ़ गए क्या ? बस फिर कल ही आएगा, फिर थोड़ी देर बाद बस निकल पड़ा। राजेंद्र और उसके दोस्त छूट गये थे तो राजेंद्र ने कहा आज बस छूट गया,सारा काम धंधा बंद।

 शहर की तरह गांव में भी अगर टैक्सी सर्विस होता है तो, कितना अच्छा होता, राजेंद्र बोला ठीक कहा तूने, मुझे एक बढ़िया आईडिया आया। मैं सोचता हूं हमारे गांव से शहर तक का टैक्सी सर्विस मैं ही क्यों ना शुरू करू, फिर राजेंद्र अपने घर वालों के सहायता से टैक्सी खरीद लिया।

रोज की तरह दूसरे दिन की बस आ गई, कंडक्टर अभी चिल्लाने लगा है आजाओ सारे बस पर जल्दी करो जल्दी करो और थोड़ी देर बाद वहां से निकल पड़ी।

हर रोज की तरह कुछ लोगों का बस छुट गया था, उस वक्त राजेंद्र ने अपना नया टैक्सी उनके सामने लाकर खड़ा कर दिया और फिर वह बोला आजाओ टैक्सी में ।

उसे देखकर जिनका बस छूट गया था, वह टॅक्सी बस से आगे निकल रही थी, और लोग बहुत खुश हो रहे थे,कि वह बस से पहले ही शहर पहुंच जाएंगे फिर गांव वालों को राजेंद्र का टैक्सी सर्विस बहुत पसंद आया।

राजेंद्र का टैक्सी के ग्राहक काफी बढ़ गए और बहुत ही कम समय में राजेंद्र ने काफी पैसा कमा लिया था।

एक दिन एक आदमी राजेंद्र के कार से इधर उधर देख रहा था, राजेंद्र बोला, कि मैं तुम्हें इधर-उधर की बातें सोचने के लिए मेरा टैक्स से ही मिला था क्या? अरे खरोच आ गई तो क्या होगा, कभी कार खरीदा है? उससे गुस्सा होने लगा,
इससे उस आदमी को बहुत बुरा लगा।

अरे वाह ! तुम्हारे कार से टिक कर खड़ा रहूंगा तो, खरोच आ जाएगी क्या बात कही है तुमने।
उस से राजेंद्र बोला अरे भाई तू है कौन जो मेरे गाड़ी से टिक खड़ा है अब चल निकल यहां से।

एक दिन राजेंद्र किसी परिवार को अपने टैक्सी में शहर तक छोड़ रहा था, तो उनके बच्चे ने गलती वाटर बोतल का पानी टैक्सी में गिरा दिया। यह देखकर राजेंद्र उस बच्चे पर चिढ़कर बेटे सीट खराब हो जाएगा।

बच्चे के बाप ने कहा भैया बच्चा ही तो है, गलती से हो गया यह सुनकर राजेंद्र बोला, अरे वाह ! यह कैसी बात है, आप एक काम करो, उतर जाओ। यह कहकर राजेंद्र ने उन्हें बीच रास्ते में उतार दिया।

राजेंद्र को शहर में कुछ काम पड़ा तो वह निकल पड़ा।

हर रोज की तरह वह बस से आगे, फराटे मार कर निकल गया । दुर्भाग्य से रास्ते के बीच में गड्ढा था, उसे दिखा नहीं और कार खड्डे में फंस गया ।

राजेंद्र ने बहुत कोशिश किया, पर कार को बाहर नहीं निकल पाया इतने में गांव का बस वहां से गुजर रहा था। तो राजेंद्र ने उसे रोकने की कोशिश की अरे भाई रुको रुको रुको....

 उसने हाथ दिखाया और कहा मेरा टैक्सी खड्डे में फस गया है, भाई उसे बाहर निकलने में थोड़ा सहायता करो । उसने कहा अरे बाप रे! तुम्हारी कार को छूएंगे तो खरोच आ जाएगी ना।

उसके बाद दूसरे ने कहा, नहीं तुम्हारी टैक्सी चढ़ने की हैसियत हममें कहा, हम तुम्हारी सहायता कैसे करेंगे।

 यह सुनकर राजेंद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ, उसने सर झुकाकर माफ कर दीजिए मैं समझ गया हूं, आप क्या कह रहे हो।

 इसके बाद बस ने एक रस्सी से राजेंद्र के टैकसी बस से बांधा और फिर टैक्सी को उसने खड्डे में से बाहर निकाला।

 उस दिन से राजेंद्र सारे गांव वालों से मिलजुल कर रहने लगा ,तो बच्चों इतना भी अच्छा नहीं है सबसे मिल जुल कर रहो।

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