फास्ट फूड वाले की सफलता की कहानी, fast food wale ki safalta ki kahani
फास्ट फूड वाले की सफलता कहानी, fast food wale ki safalta ki kahani
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फास्ट फूड वाले की सफलता कहानी, fast food wale ki safalta ki kahani
Kahani: बहुत पहले की बात है, उन दिनों झटपट खाना मतलब समोसे , भजिया, पकोड़े ,गोलगप्पे, रगड़ा, जैसी चीजें होती थी। एक बार मदन नाम का व्यक्ति अपने परिवार के साथ बैलगाड़ी पर एक गांव आया ।
पत्नी कहती है, कि यह वही गांव है क्या जहां जहां व्यापार करना चाहते हो ? यह अपने गांव से बहुत बड़ा लग रहा है ?
मदन कहता है,कि हां इसीलिए आया हूं, लेकिन यदि हम वही पकवान बेचेंगे, जो बाकी लोग बेच रहे हैं तो, ज्यादा लाभ नहीं होगा। हाल ही में मेरे एक दोस्त ने मुझे एक नए धंधे के बारे में बताया है। उसने यह तब जाना जब वह चीन गया था। उसे सलाह दी है, कि हमें चाइनीस फास्ट फूड की रेडी लगानी चाहिए, देखते हैं क्या होता है।
बाद में उसने एक चाइनीस फास्ट फूड की रेडी लगाई, कुछ लोगों ने आकर उसकी तारीफ भी की। इसकी मांग बढ़ने लगी, इस बात को आसपास के रेडी वाले ने भी देखा।
फिर उन लोगों ने भी चाइनीस फास्ट फूड की रैडी लगाना शुरू किया। इससे लोगों ने मदन के पास आना कम कर दिया
एक दिन उसका बेटा चिन्ना कहता है कि बाबू तुम्हें चिंता हो रही है ना कि दूसरे भी तुम्हारे जैसे ही पकवान बना रहे हैं, मैं जैसा कहता हूं वैसा करो, मेरे स्कूल में आसपास के गांव से कई विद्यार्थी आते हैं उनको अपने रेडी के पकवान बहुत स्वादिष्ट लगे। यहां मुश्किल है, गांव के लोगों को चाइनीस का स्वाद चखा दे, क्या कहते हो। मदन को उसकी बात अच्छी लगी।
फिर उसने गांव में रेडी लगाया, मदन आओ भाई, आओ चाइनीस फास्ट फूड खाओ, चिकन 65, चिकन फ्राइड, राइस मटन सूप, मटन फ्राई रईसी, कहकर आवाज लगाने पर भी कोई पास नहीं आता था।
मदन कहता है, कि क्या बात है बेटा कोई आ क्यों नहीं रहा है ? अब क्या करें, कोई आकर खाएगा तभी तो पता लगेगा कि कितना स्वादिष्ट है, चिंता ना करो बाबू, यह उनके लिए नया है ना, इसीलिए नहीं आ रहे हैं मुझे यकीन है कि अगर एक बार उन्होंने इसे देखा तो, फिर वे इसे खाना नहीं छोड़ेंगे ।
तो एक दिन फ्री में खिलाते हैं नुकसान को रोकने के लिए कुछ तो करना होगा ना, तब मदन चाइनीस फास्ट फूड यह बिल्कुल मुफ्त है पैसे देने की जरूरत नहीं है स्वाद चखा और मजे लो भैया कहकर चिल्लाने लगा। फिर सब एक एक करके आ कर खाने लगे बाप-बेटे खुश हुए।
अगले दिन के पास फिर कोई नहीं आया। इतने में एक व्यक्ति आकर कल जो मैंने खाया बहुत स्वादिष्ट था, मैंने जिंदगी में पहले कभी ऐसा नहीं खाया। आज भी मुफ्त है या पैसे देने होंगे, हमारे गांव में पैसे मिलना बहुत मुश्किल है, यह सुनकर मदन बहुत निराश हुआ।
तभी वहां उस गांव का जमींदार आया, जमींदार को देखकर सब रेडी के पास आए ।
जमींदार कहता है, कि क्यों भाई मदन क्या हो रहा है तुम्हारे पास बहुत स्वादिष्ट चिन्स फूड है, कल मेरा सेवक यहां पर मुफ्त में चिन्स फ़ूड खाया था, जरा मुझे भी देना देखता हूं।
मदन ने उन्हें चिकन 65 दिया। उसे खाकर जमींदार कहता है कि वाह क्या स्वाद है, लाजवाब । इसे हर रोज खाने का दिल कर रहा है, क्या दाम है ? इसका मदन समझ नहीं पा रहा था, कि क्या कहे? जमींदार क्या सोच रहे हो, मैं इनकी तरह मुफ्त में खाने नहीं आ रहा हूं, बताओ क्या दाम है।
मदन कहता है, कि ₹110 , फिर जमीदार ने एक बड़ा नोट दिया, जमींदार कहता है, कितुम सोच रहे हो कि इतने पैसे क्यों दिए, बाकी पैसे तुम ही रखो। बहुत मेहनत करके हमारे गांव आए हो और हमें एक नया स्वाद से परिचय कराया।
गांव वालों गांव की धंधा को बढ़ावा देना हमारी जिम्मेदारी है, उम्मीद है कि आगे से मुफ्त में नहीं खाएंगे। एक व्यक्ति कहता है, कि आपको पैसे देते हुए देखकर हमें भी बदलाव आया है । आगे से हम भी कोई भी चीज फ्री में नहीं खाएंगे।
फिर बाप बेटे खुश हुए, उस दिन से उसका धंधा चलने लगा, और खूब पैसे कमाए।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि यदि उच्च दर्जे के लोग ही गलती करेंगे तो नीची लोग भी अवश्य गलती करेंगे।
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