राजा और नौकर की कहानी हिंदी में
राजा और नौकर की कहानी हिंदी में
video source- youtube| video by- Majedar kahaniराजा और नौकर की कहानी हिंदी में
कहानी :- विश्वापूर्व राज्य का राजा कुलदीप सिंह का था, वह अपने कर्मचारियों की अच्छी तरह देखभाल करता था, साथियों के काम पर निगरानी भी रखता था।
1 दिन राजा ने तीन सेवकों को बुलाकर कहा, कि आप तीनों को एक विशेष कार्य के लिए यहां बुलाया गया है, मैं राज्य के फल खाकर पक चुका हूं, मेरे लिए जंगल से ताजा फल बोरियों में भरकर लाओ।
फिर तीनों तीन बोरी लेकर अलग-अलग दिशाओं में चले गए और जंगल में फल ढूंढने लगे।
पहला सेवक सोचता है, कि बिचारे राजा कभी किसी से कुछ नहीं मांगते। पहली बार उन्होंने ताजे फल खाने की इच्छा प्रकट की है, मुझे अच्छे फल को ही ले जाना होगा ऐसा सोचकर ताजे ताजे फल को बोरी में भरता है।
दूसरा सेवक सोचता है, कि राजा जी के पास कौन सा फलों की कमी है, मैं यही आस पास की कोई भी फल ले लेता हूं, पूछने पर कह दूंगा कि यही फल मिले हैं।
फिर तीसरा सेवक सोचता है, कि यदि मैं फल भी ले जाऊं तो पता नहीं राजा साहब उसे खाएंगे कि नहीं। इसीलिए नीचे में पत्तों को डालकर ऊपर में ताजा ताजा फल को भर देता है।
फिर राजा मंत्री से कहते हैं, कि इन तीनों को इनके फलों के साथ कैद खाने में डाल दिया जाए और इन्हें कोई खाने की वस्तु ना दी जाए।
फिर पहला सेवक जो अच्छे-अच्छे ताजे फल लाया था उसको एक महीने तक खाकर जिंदा रहा उसे कोई परेशानी नहीं हुई।
और दूसरा जो कुछ ताजा और कुछ खराब फले लाया था, वह कुछ दिनों तक ताजा फल खाया और फिर खराब वालों को खाकर बीमार पड़ गया।
और तीसरा सेवा में जो केवल ऊपर में ताजे फल लाया था, वह केवल 2 दिन तक ही फल खाया और फिर घास फूस खाकर बेहोश हो गया।
फिर उन तीनों को बुलाया और फिर कहा, कि इसी को कहते हैं अच्छे कर्म का अच्छा नतीजा और बुरे कर्म का बुरा नतीजा । तो आज से ईमानदारी से काम करना चलो अब जाओ ऐसा कहकर वहां से भेज देता है।
तो बच्चों आज की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है, कि हमारे द्वारा किए गए कर्म का फल हमें ही मिलता है चाहे वह अच्छा हो या बुरा।
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