गुब्बारे वाले हिंदी कहानी
Kahani : गुब्बारे वाले हिंदी कहानीvideo source-youtube|video by- majedar kahaniyan
Kahni : भवानी नगर नाम के एक गांव में एक लड़का रहता था,जिसका नाम था राम था । वह बहुत होशियार था, लेकिन काला था, इसलिए बाकी सभी बच्चे उसका मजाक उड़ाते थे,खिल्ली उड़ाते थे जिससे वह दुखी हो जाता था।
फिर शिक्षिका सवाल पूछती है,कि बच्चों बताओ कि अमेरिका में कितने राज्य हैं? वहां भारत के कितने लोग रहते हैं? वहां की जनसंख्या कितनी है ?आदि, इन सब का जवाब कोई नहीं बता पाता।
फिर शिक्षिका ने कहा राम तुम्हें देखकर लगता है, कि तुम्हें इसका जवाब पता है,चलो बताओ, फिर राम खड़ा हुआ। फिर सारे बच्चे हंसने लगे।
राम ने जवाब देते हुए कहा, कि वहां 50 राज्य हैं, और 2010 की जनगणना के अनुसार 3 दशमलव 27 बिलियन की आबादी है, 28लाख45हजार3सौ30लोग भारत के लोग वहां रहते हैं।
फिर शिक्षक कहती है, कि तुम्हें जवाब मालूम होते हुए भी क्यों नहीं बताते हो राम, तब राम कहता है, कि शिक्षिका जी मुझे यह सब लोग मेरे रंग के नाम से चिढ़ाते हैं, इसलिए मेरा आत्मविश्वास कम हो जाता है।
शिक्षिका ने क्लास के बच्चों को समझाया, कि बच्चों रंग रूप और आकार को लेकर ऐसा किसी का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। फिर भी बच्चे उसका मजाक उड़ाते थे।
और फिर राम अपनी मां से कहता है, कि मां मुझे क्यों काला जन्म दिया ? क्या मैं कभी गोरा नहीं हो सकता? मुझे नहीं जाना स्कूल।
फिर उसकी मां समझाते हुए कहती है,कि अगर पढ़ाई नहीं करोगे तो भविष्य में क्या करोगे बेटा? इसलिए स्कूल वालों की बातों पर ध्यान मत दो।
फिर राम कहता है,कि तुम्हें क्या मां तुम अगर मेरी जगह होती तो समझ में आता। फिर वह वहां से निकल जाता है और रास्ते में टहलने लगता है, फिर एक गुब्बारा वाला गुब्बारा बेच रहा था गुब्बारे ले लो है रे गुब्बारे लाल ,गुब्बारे गुलाबी ,गुब्बारे वाले ,गुब्बारे ले लो ,ले लो ,ले लो...
फिर कुछ बच्चे आए और कुछ नहीं लाल गुब्बारे कुछ नहीं है रे गुब्बारे और कुछ नहीं पीले गुब्बारे लिये।
फिर गुब्बारे वाले ने राम को देखा और कहा अरे बेटा उदास क्यों हो ? गुब्बारे चाहिए फिर राम कहता है नहीं मैं काला हूं ना, इसलिए मुझे सब लोग चिढ़ाते हैं जिससे मेरा आत्मविश्वास घट जाता है, फिर गुब्बारे वाला कहता है नहीं बेटा ऐसा नहीं है।
फिर उसे समझाता है,कि मेरे पास भी काले गुब्बारे हैं पर इसे कोई नहीं खरीदता, लेकिन यह भी दूसरे को गुब्बारों की तरह ही उड़ता है हमें यह मायने नहीं रखता कि हम गोरे है, काले हैं, मोटे हैं, पतला है वह तो हमारे मानवीय गुण पर निर्भर करते हैं।
और फिर उसे समझाते हुए कहता है,कि कितने का कितने बड़े-बड़े नेता खिलाड़ी क्या काले नहीं थे ? क्या उन्होंने ऊंचाइयां हासिल नहीं की ? यदि वह इन्हीं सब बातों में ध्यान देते तो वह क्या इन ऊंचाइयों को छू सकते है।
फिर उसका आत्मविश्वास बढ़ा और वह हर साल स्कूल में फर्स्ट आता था ।और लोगों को उसके लिए ताली बजाता देख वह बहुत खुश होता था।
तो बच्चों आज की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है, कि हमें किसी भी को उसके रंग रूप के बारे में नहीं चिढ़ाना चाहिए या उसका मजाक नहीं उड़ाना चाहिए।
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