jadui phool ki kahani video mein, जादुई फूल कहानी हिंदी में
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video source- youtube| video by- Majedar kahaani
jadui phool ki kahani video mein, जादुई फूल कहानी हिंदी में
Kahaani : बहुत समय पहले शंकरगिरी पर्वत के पास लगदीपेट नाम का गांव हुआ करता था, वहां के लोग जंगलों के लकड़ी को काट काट कर गुजारा किया करते थे।
उस गांव में बलराम नाम का एक व्यक्ति था, जो कुल्हाड़ी लेकर निकलता था, वह हरे पेड़ों को नहीं काटता था, वह सूखे पेड़ों को ही ढूंढता और उसे ही काटता। और उसकी जगह एक पेड़ लगाता था और उससे पानी देता था।
फिर एक दिन एक व्यक्ति कहता है, कि क्यों बलराम, पेड़ क्यों गा रहे हो ? जंगल होते ही हैं काटने के लिए, तुम अगर पेड़ नहीं उगाओगे तो, भी कुछ ना कुछ उग ही जाएगा।
फिर बलराम कहता है, कि मैं हरे भरे पेड़ को नहीं काटता, और कहते हैं ना, कि हम वृक्ष की रक्षा करेंगे तो वृक्षा हमारी रक्षा करेंगे । मैं भूखा सो जाऊंगा लेकिन हरे भरे पेड़ों को नहीं काटूगा।
और पेड़ उगाना मेरा धर्म है, मैं सोचता हूं यह पेड़ अगली पीढ़ी के लिए काम आएंगे।
फिर एक दिन बलराम कुल्हाड़ी लेकर निकल रहा था, कि उसे चक्कर आ गए और वह गिर पड़ा फिर डॉक्टर ने कहा, इसको स्वास की बीमारी है। इसका दवाई बहुत मुश्किल से मिलता है और महंगा भी।
फिर उसकी पत्नी ने कहा हे भगवान अगर इनको कुछ हो गया तो हमारे परिवार का क्या होगा? फिर उसकी बेटी प्रिया ने कहा, कि चिंता मत करो मां, पिताजी को कुछ नहीं होगा। कल से तुम पिताजी का ध्यान रखना और मैं बाहर से लकड़ी काटकर ले आऊंगी।
अगले दिन प्रिया कुल्हाड़ी लेकर जंगल की ओर चली गई और सूखे पेड़ को ढूंढने लगी।
थोड़ी देर बाद एक बड़ा सा सूखा वृक्ष मिला फिर उसे प्रिया काटने लगी, बच्ची होने के कारण उसमें बल भी नहीं था इसलिए कई बार मारने पर भी वह नहीं कट रहा था।
फिर वह सोचती है, कि अगर मैं आज लकड़ी काटकर नहीं ले जाऊंगी तो, हमें भूखा रहना पड़ेगा। हे भगवान! आप हमारी कैसी परीक्षा ले रहे हो, कह कर रोने लगी।
इतने में पेड़ से एक बंदर आया और कहा, कि चिंता मत करो बेटी। तुम बलराम की ही पुत्री हो ना, तुम्हारे पिता जैसा इंसान पूरी दुनिया में नहीं है। उन्हीं के कारण आज जानवर इस जंगल में है।
फिर बंदर ने अपने सभी साथियों को बुलाया और प्रिया को प्रतिदिन लकड़ी देने का वादा किया। और बंदर ने अपने साथियों से कहा, कि मित्रों यह बलराम की बेटी है। और यह मुसीबत में है हमें इसकी सहायता करनी होगी।
फिर हाथी ने एक सूखे पेड़ को गिराया और भालू ने उसके टुकड़े टुकड़े किए और फिर सांड की मदद से उसे घर लेकर गया।
फिर बंदर ने प्रिया को पौधा देते हुए कहा, कि यह लो प्रिया हमें जब भी कुछ होता है, हम इसी के पत्ते खाते हैं, और ठीक हो जाते हैं, इसका सब्जी बनाकर अपने पिताजी को खिलाना वह भी ठीक हो जाएंगे।
और बताता है, कि इसमें महीने में एक बार जादुई फूल खिलता है, जो एक ही दिन के लिए जिंदा रहता है, उससे जो भी मांगोगे वह तुम्हें अवश्य मिलेगा और कहता है, कि अब से तुमहे जंगल आने की कोई जरूरत नहीं। हम सांड की मदद से प्रतिदिन तुम्हारे घर लकड़ी भिजवा दिया करेंगे।
फिर वह जानवरों को प्रणाम करके घर लौट आई और फिर घर आकर वहां हुई घटना को अपनी मां को बताई। और फिर उस पौधे को उगादि।
अगले दिन उस पौधों में पत्ते आ गए, और फिर उस पत्ते का सब्जी बनाकर बलराम की पत्नी ने बलराम को खिलाया, इस तरह कुछ दिनों के बाद बलराम की सेहत में सुधार आया।
एक महीने बाद उस पौधे में फूल भी खिला और प्रिया के मांगने पर उसे घर और पैसे और जेवर भी मिले फिर वे लोग खुशी-खुशी रहने लगे।
तो बच्चों आज की कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है,कि हमें पेड़ों की रक्षा करनी चाहिए नहीं तो, हमें अनेक परेशानियां हो सकती हैं।
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