do sar wale hans ki kahaniyan in hindi video mein, दो सर वाले हंस
do sar wale hans ki kahaniyan in hindi video mein, दो सर वाले हंस
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do sar wale hans ki kahaniyan in hindi video mein, दो सर वाले हंस
Kahaniyan : एक अलकनंदा नाम की एक झील में दो हंस रहते थे, एक का नाम सुनंदा और एक का नाम आनंदा था, वे दोनों किसी भी क्षण अलग नहीं होते थे, वे दोनों पक्के मित्र थे।
उन दोनों को देखकर जंगल के सभी जानवर कहते थे, कि आनंद और सुनंदा तुम दोनों की मित्रता एकदम पक्की है, तुम दोनों कभी भी अलग नहीं होते हो तुम लोगों से सबको सीख लेना चाहिए, उसकी बात सुनकर वे दोनों बहुत खुश हुए।
फिर आनंदा ने सुनंदा से कहा, कि दोस्त मुझे उन जानवरों की बात अच्छी लगी, वह सोचता है कि कितना अच्छा होता अगर हम दोनों की शरीर भी एक ही होती।
और फिर सुनंदा कहती है, कि मेरे पास एक तरकीब है कि हम दोनों तपस्या करते हैं, और वरदान में हम एक ही शरीर मांग लेंगे।
वे दोनों हंस घोर तपस्या में लग जाते हैं, कई बार तेज बारिश हुई तूफान आया है, बिजली चमकी बादल गरजा पर वे दोनों तपस्या में लीन रहे कई सालों के बाद उन्हें उनकी तपस्या का फल मिला और एक देवी प्रकट हुई।
फिर देवी ने कहा कि बच्चों तुम्हारी तपस्या सफल हुई बताओ क्या चाहिए तुम्हें फिर आनंदा ने कहा कि माता हम दोनों बचपन से ही अच्छे दोस्त हैं, हम दोनों बचपन से ही एक साथ रहते हैं, आप हम दोनों को एक साथ जोड़ दीजिए।
और फिर देवी कहती है, कि नहीं बच्चों तुम दोनों की दोस्ती अलग-अलग में ही बहुत अच्छा है, अगर तुम एक ही शरीर में जोड़ जाओगे तो तुम्हारी दोस्ती में दरार आ सकती है।
आनंदा कहती है, कि हे माता आप हमारी इस वरदान को पूर्ण कीजिए और फिर देवी उन दोनों को एक ही शरीर में जोड़ देती है, लेकिन सर अलग रखती है।
कुछ दिन तो वह खुशी-खुशी बिताए और जंगल के जानवर भी उसे दिखाओ उन्हें देखकर आश्चर्यचकित हो जाते थे।
लेकिन एक दिन जब वह घूम रहे थे, तब उनके सामने एक मांस का टुकड़ा पढ़ा था आनंदा कहती है, कि बहुत दिन हो गए मांस नहीं खाया मछली खा खाकर पक गई हूं और फिर सुनंदा कहती है, कि हां-हां दोस्त मैं भी मछली खा खाकर पक गई हूं मुझे भी थोड़ा दो।
फिर आनंदा कहती है, कि मैं क्यों दूं तुम्हें यह मुझे मिला है, वैसे भी तुम खाओ या मैं खाऊं कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।
और फिर 1 दिन आनंदा को एक मछली मिलता है, वह उसे भी अकेले ही खा जाती है और सुनंदा से कहती है कि तुम क्यों हर चीज को मांगती रहती हो, तुम्हें जो मिलता है वह तुम खा लिया करो।
फिर सुनंदा सोचती है, कि आनंदा को सबक सिखाना पड़ेगा और फिर जब वह लोग जा रहे थे, तब उसे एक विषाक्त फल दिखा सुनंदा ने उसे चोंच में दवा लिया।
आनंदा कहती है, कि तुम इसे मत खाओ, इसे अगर तुम खाओगे तो, दोनों मर जाएंगे फिर सुनंदा कहती है, कि मुझे कुछ नहीं पता इतने दिन से तुम अकेले खा रही थी, स्वादिष्ट भोजन अकेले खा रही थी, तो मैंने तुम्हें कुछ नहीं बोला अब मैं भी एक विषाक्त फल को खाऊंगी और फिर उस विषाक्त फल को वह गट से दबा गई।
और फिर आनंदा कहती है, कि हमें एक ही शरीर में रहने से परेशानी हो रही है, चलो उस देवी के पास हमें जाना चाहिए और अलग होना चाहिए, फिर वह दोनों देवी के पास चले जाते हैं।
और फिर देवी कहती है, कि देखा मैंने कहा था ना, कि एक ही शरीर में तुम दोनों को अवास्तविक परिस्थितियों को झेलना पड़ सकता है।
कहानी से शिक्षा :-
तो बच्चों आज की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है, कि हमें अवास्तविकता में नहीं जीना चाहिए।
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