कारोबार में सफलता के लिए कहानी
कारोबार में सफलता के लिए कहानी
video source- youtube|video by- Majedar kahani
कारोबार में सफलता के लिए कहानी
गोरखपुर नाम के एक गांव में प्रशांत नाम का एक व्यापारी रहता था, वह बहुत अमीर था उसका एक बेटा शिवाजी था, उसका एक दोस्त दिव्यांगत होने के कारण प्रशांत ने उसे भी अपने बच्चे की तरह पाल पोस कर बड़ा किया।
फिर प्रशांत ने अपने पूरे संपत्ति का को दोनों में बराबर बांट दिया और फिर शिवाजी ने एक कंपनी खोली और उसमें मधु नाम के लड़के को मैनेजर नियमित किया।
मधु एक अच्छा मैनेजर था, वह हर काम को सही समय पर करता था।
फिर प्रताप ने भी एक कंपनी खोली, लेकिन वह बहुत घमंडी था, वह थोड़ी-थोड़ी बातों पर कामगारों से पर गुस्सा करता था, थोड़े ही दिनों में उसकी कंपनी घाटे में चलने लगी और फिर उसने सोचा कि मुझे शिवाजी के पास जाना ही होगा।
और फिर प्रताप शिवाजी के पास गया और उससे पूछा, कि शिवाजी मैं तुम्हारे कारोबार को समझना चाहता हूं। कि तुम कैसे अपने कारोबार को आगे बढ़ा दे हो।
फिर शिवाजी ने कहा, कि इसके लिए आपको मुझे पूछने की जरूरत नहीं है भैया यह मधु आपको सब बता देगा।
अगले दिन मधून एक फैक्ट्री के सारे काम प्रताप को बताया और फिर प्रताप सोचने लगा, कि शिवाजी ने केवल जवानों को ही अपनी कंपनी में काम दिया है, इसीलिए उसका काम इतना अच्छा चल रहा है।
फिर अगले दिन प्रताप ने शिवाजी से कहा, कि हां बढ़िया है, तुम्हारी कंपनी लेकिन इसमें तुम्हारा क्या महानता है, तुम सारे जवान लोगों से ही काम कर आते हो और मधु जैसा मैनेजर हो तो फिर करो बात क्यों आगे ना।
तुम मधु को मेरे कंपनी में भेज दो। फिर देखना मैं कैसे कारोबार में आगे पढ़ता हूं, शिवाजी को यह बात पसंद नहीं आई, फिर भी उसने प्रताप को हां कह दिया और मधु को उसके कंपनी में काम करने के लिए भेज दिया।
तब मधु ने कहा, कि शिवजी मेरा एक बड़ा भाई है, वह भी मेरे से अच्छा काम करता है, तब प्रताप सोचता है, कि जब मधु ही इतना बुद्धिमान है, तो उसका भाई भी और बुद्धिमान होगा, मैं उसे ही काम पर रहूंगा, फिर मधु को उसके बड़े भाई को बुलाने के लिए कहा।
फिर अगले दिन उस मधु ने एक बैल को अपने साथ लाया और कहा कि जिसका काम है, उसी के लिए ही एक अच्छे कामगार को ढूंढना चाहिए। तो कहानी समझ में आया बच्चों।
इसलिए हमें किसी की सफल ता से जलना नहीं चाहिए।
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कारोबार में सफलता के लिए कहानी
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गोरखपुर नाम के एक गांव में प्रशांत नाम का एक व्यापारी रहता था, वह बहुत अमीर था उसका एक बेटा शिवाजी था, उसका एक दोस्त दिव्यांगत होने के कारण प्रशांत ने उसे भी अपने बच्चे की तरह पाल पोस कर बड़ा किया।
फिर प्रशांत ने अपने पूरे संपत्ति का को दोनों में बराबर बांट दिया और फिर शिवाजी ने एक कंपनी खोली और उसमें मधु नाम के लड़के को मैनेजर नियमित किया।
मधु एक अच्छा मैनेजर था, वह हर काम को सही समय पर करता था।
फिर प्रताप ने भी एक कंपनी खोली, लेकिन वह बहुत घमंडी था, वह थोड़ी-थोड़ी बातों पर कामगारों से पर गुस्सा करता था, थोड़े ही दिनों में उसकी कंपनी घाटे में चलने लगी और फिर उसने सोचा कि मुझे शिवाजी के पास जाना ही होगा।
और फिर प्रताप शिवाजी के पास गया और उससे पूछा, कि शिवाजी मैं तुम्हारे कारोबार को समझना चाहता हूं। कि तुम कैसे अपने कारोबार को आगे बढ़ा दे हो।
फिर शिवाजी ने कहा, कि इसके लिए आपको मुझे पूछने की जरूरत नहीं है भैया यह मधु आपको सब बता देगा।
अगले दिन मधून एक फैक्ट्री के सारे काम प्रताप को बताया और फिर प्रताप सोचने लगा, कि शिवाजी ने केवल जवानों को ही अपनी कंपनी में काम दिया है, इसीलिए उसका काम इतना अच्छा चल रहा है।
फिर अगले दिन प्रताप ने शिवाजी से कहा, कि हां बढ़िया है, तुम्हारी कंपनी लेकिन इसमें तुम्हारा क्या महानता है, तुम सारे जवान लोगों से ही काम कर आते हो और मधु जैसा मैनेजर हो तो फिर करो बात क्यों आगे ना।
तुम मधु को मेरे कंपनी में भेज दो। फिर देखना मैं कैसे कारोबार में आगे पढ़ता हूं, शिवाजी को यह बात पसंद नहीं आई, फिर भी उसने प्रताप को हां कह दिया और मधु को उसके कंपनी में काम करने के लिए भेज दिया।
तब मधु ने कहा, कि शिवजी मेरा एक बड़ा भाई है, वह भी मेरे से अच्छा काम करता है, तब प्रताप सोचता है, कि जब मधु ही इतना बुद्धिमान है, तो उसका भाई भी और बुद्धिमान होगा, मैं उसे ही काम पर रहूंगा, फिर मधु को उसके बड़े भाई को बुलाने के लिए कहा।
फिर अगले दिन उस मधु ने एक बैल को अपने साथ लाया और कहा कि जिसका काम है, उसी के लिए ही एक अच्छे कामगार को ढूंढना चाहिए। तो कहानी समझ में आया बच्चों।
इसलिए हमें किसी की सफल ता से जलना नहीं चाहिए।
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